इलेक्ट्रिक वाहन निर्माताओं के लिए अच्छी खबर, ARCI ने मेटल-एयर बैटरी के लिए बनाए सस्ते उत्प्रेरक
ऊर्जा के विभिन्न स्रोतों की मांग में वृद्धि के साथ, दुनिया भर में विभिन्न प्रकार के ऊर्जा उपकरणों जैसे कि लिथियम-आयन बैटरी, लेड-एसिड बैटरी, रेडॉक्स फ्लो बैटरी, लिथियम-एयर बैटरी, जिंक-एयर बैटरी, सोडियम-आयन बैटरी, ईंधन सेल और सुपर कैपेसिटर आदि को विकसित करने के प्रयास किए जा रहे हैं। इन मेटल – एयर बैटरियों में महंगे उत्प्रेरकों का उपयोग होता है, जो इन्हें महंगे बनाते हैं। लेकिन भारत के वैज्ञानिकों ने इसका भी समाधान निकाल लिया है।
मेटल – एयर बैटरियों की लागत को करेगा कम
इंटरनेशनल एडवान्स्ड रिसर्च सेंटर फॉर पाउडर मेटलर्जी एंड न्यू मटेरियल्स (एआरसीआई) के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा धातु-आधारित द्वि-कार्यात्मक (बाई फंक्शनल) इलेक्ट्रोकैटलिस्ट बनाया है, जो इन मेटल – एयर बैटरियों की लागत को कम कर सकता है और उनकी क्षमता में वृद्धि कर सकता है। यह दो अलग-अलग प्रकार की प्रतिक्रियाओं को उत्प्रेरित करने में सक्षम है। इसे सल्फोनेटेड पॉलीईथर ईथर कीटोन नामक बहुलक के कार्बनीकरण के माध्यम से सल्फर-डॉप्ड कार्बन ढांचे में संक्रमण धातु आयनों की एंकरिंग करके विकसित किया गया है। यह कैटलिस्ट उच्च ऊर्जा दक्षता और स्थिर चार्ज-डिस्चार्ज की विशेषता में सक्षम बनाते हुए कम वोल्टेज ध्रुवीकरण भी सुनिश्चित करता है।
क्या होते हैं उत्प्रेरक ?
वे पदार्थ जो रासायनिक अभिक्रिया की गति को परिवर्तित कर देते हैं परन्तु स्वयं संरचनात्मक रूप से अपरिवर्तित रहते है उन्हें उत्प्रेरक या कैटलिस्ट कहते है एवं यह प्रक्रिया उत्प्रेरण या कटैलिसीस कहलाती है। उत्प्रेरण दो प्रकार का होता है – समांगी उत्प्रेरण और विषमांगी उत्प्रेरण। जब क्रियाकारक क्रियाफल तथा उत्प्रेरक समान अवस्था में हो तो उसे समांगी उत्प्रेरण कहते है। वहीं जब क्रियाकारक क्रियाफल तथा उत्प्रेरक अलग अलग अवस्था में हो तो वह विषमांगी उत्प्रेरण कहलाता है। वे पदार्थ जो उत्प्रेरक की क्रियाशीलता को भी बढ़ा देते हैं उन्हें वर्धक कहते हैं।
क्या है एआरसीआई ?
इंटरनेशनल एडवान्स्ड रिसर्च सेंटर फॉर पाउडर मेटलर्जी एंड न्यू मटेरियल्स (एआरसीआई) की स्थापना वर्ष 1997 में की गई थी, जो विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), भारत सरकार का स्वायत्त अनुसंधान और विकास केंद्र है। इस संस्था का मुख्य परिसर हैदराबाद में है, जो लगभग 95 एकड़ में फैला हुआ है। इस संस्था के कुछ कार्य चेन्नई और गुरुग्राम में भी संचालित किए जाते है। विदेशी और भारतीय दोनों कंपनियों के लिए अनुबंध अनुसंधान करने के अलावा, विशिष्ट उत्पादों और संबंधित प्रौद्योगिकी को विकसित करने के लिए, एआरसीआई कई सरकारी एजेंसियों के साथ मिलकर कई प्रायोजित परियोजनाओं का संचालन कर रहा है।
इन बैटरियों का कई जगह होता है उपयोग
सभी मेटल-एयर बैटरियों में से, जिंक-एयर बैटरियां अपनी कम लागत और उच्च ऊर्जा घनत्व के कारण ज्यादा प्रचलित है। इनका उपयोग पोर्टेबल इलेक्ट्रॉनिक्स एवं इलेक्ट्रिक वाहनों और ऊर्जा भंडारण उपकरणों के लिए पवन टरबाइन, फोटोवोल्टिक पैनल, इलेक्ट्रिक ग्रिड जैसे अक्षय ऊर्जा जनरेटरों और अंतिम-उपयोगकर्ताओं के बीच ऊर्जा प्रवाह का प्रबंधन करने के लिए कॉम्पैक्ट पावर स्रोत के रूप में किया जाता है। बाई फंक्शनल कैटलिस्ट बैटरी को डिस्चार्ज करते समय ऑक्सीजन कम करने में मदद करता है और वही उत्प्रेरक चार्जिंग चक्र के दौरान ऑक्सीजन के विकास की प्रतिक्रिया में मदद करता है। अधिकांश पारंपरिक उत्प्रेरकों की संरचना में उत्कृष्ट धातुएं शामिल होती हैं, जिससे बैटरी महंगी हो जाती है। इसलिए ऐसी बैटरियों के लिए कैटलिस्ट बनाना एक बड़ी चुनौती हो जाती है।
इलेक्ट्रिक वाहन निर्माताओं के लिए एक अच्छी खबर
इस कैटलिस्ट संश्लेषण विधि का उपयोग, इस्तेमाल किए जा चुके आयनकों के पुनर्चक्रण करने के लिए भी किया जा सकता है। केंद्रीय सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने इस बारे में कहा था कि बैटरी के मामले में मेटल-एयर, मेटल-आयन या रिसर्च व डेवलपमेंट के दौर में चल रही दूसरी बिजनेस पॉसिबिलिटीस को ध्यान में रखते हुए कई कदम उठाए जाने की संभावना है, जिससे देश इलेक्ट्रिक वाहनों की दिशा में बेहतर व ठोस कदम उठाए जा सकें। ऐसे समय में, जब भारत इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर आशा की नजर से देख रहा है, यह भारत के लिए एक अच्छी खबर है।