सऊदी अरब के रियाद में फंसे 30 से अधिक भारतीय, चार लोग शेखावाटी के रहने वाले भी शामिल, तीन दिन सड़क किनारे सोए, फिर एक राजस्थानी ने दी शरण

सऊदी अरब के रियाद में फंसे 30 से अधिक भारतीय, चार लोग शेखावाटी के रहने वाले भी शामिल, तीन दिन सड़क किनारे सोए, फिर एक राजस्थानी ने दी शरण

राजस्थान पोस्ट। नवलगढ़

 सऊदी अरब के रियाद शहर में कमाने के लिए गए करीब दो दर्जन  से अधिक भारतीय विदेश में फंस गए है, इनमें करीब चार लोग शेखावाटी के बताए जा रहे है।  कंपनी ने लोगों को कंपनी से बाहर निकाल दिया है, अब यह लोग वहां पर दर-दर की ठोकरे खाने को मजबूर है,  परिवार के लोग अब इनकी वतन वापसी की गुहार लगा रहे है।  कसेरू निवासी अनिल पूनिया की पत्नी विशाखा भी झुंझुनूं एसपी कार्यालय पहुंची और  एसपी को ज्ञापन देकर बताया कि अपने पति अनिल की वापसी की गुहार लगाई। एसपी को दिए गए ज्ञापन के अनुसार उसके पति अनिल कुमार एक फरवरी को इसी साल गांगियासर निवासी एजेंट अरशद के जरिए विदेश गए थे, जहां पर उसे बताए अनुसार पहले तो काम नहीं दिया, इसके बाद अब पिछले 10-15 दिनों से ना तो उसके पति को खाना दिया जा रहा है और ना ही पीने के लिए पानी, यहां तक की जिस कमरे में वह रह रहे थे, उसमें से भी  बाहर निकाल दिया है। पुलिस भी इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। जब एजेंट से बात करते है तो वो कोई संतोषप्रद जवाब नहीं दे रहा है। अनिल पूनिया ने भास्कर को बताया कि वहां पर उसके साथ नवलगढ़ के मोहल्ला बिसायतियान का जमील खान, टांई का शाहरुख खान व खींवासर का जुनेद खान भी साथ है। वहां पर परेशान हो चुके युवाओं ने वीडियो भेजकर अपनी परेशानी सांझा की है। उन्होंने बताया कि तीन दिन तो मकान नहीं मिलने के कारण सड़क किनारे सोना पड़ा, इसके बाद राजस्थान के रहने वाले एक व्यक्ति ने उनको शरण दी है, उनके विजा और पासपोर्ट आदि भी कंपनी ने जब्त कर लिए है। युवकों के परिजनों ने एजेंट के खिलाफ पुलिस में शिकायत भी की है, लेकिन पुलिस भी इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं कर रही है।

 

18-18 घंटे करना पड़ा काम

जमील ने बताया कि वह 28 जनवरी 2023 को बिसाऊ एजेंट के जरिए 1.30 लाख देकर रियाद की मोवासलात अलजजीरा कंपनी में गए थे। एजेंट ने बताया कि कंपनी का खुद का काम है, आपको शहद की डिलेवरी दुकानों पर देनी है। इसके लिए 40 हजार रुपए वेतन तय हुआ। इसके बाद कंपनी में गए, तब देखा की वहां पर ऐसा कोई काम नहीं था। कंपनी ने दो साल का वीजा भेजा था, कंपनी के अधिकारियों ने कहा कि हम जो काम बताएंगे वो काम आपको करना पड़ेगा, फिर इस  कंपनी ने दूसरी कंपनी के पास भेज दिया, फिर दूसरी कंपनी ने चॉकलेट व फूलों की डिलेवरी करवाई। 18 फरवरी को तीसरी कंपनी के पास भेज दिया गया, यह कंपनी ऑनलाइन डिलवेरी देने का काम करती है, यहां पर करीब 25 दिन काम किए, यहां पर करीब 18-18 घंटे काम करना पड़ा। काम करने के लिए मना तो अमेजान कंपनी में भेज दिया गया, यहां पर करीब एक माह काम करना पड़ा, यहां पर 14 से 16 घंटे काम करना पड़ा। इन लोगों ने कंपनी से ओवर टाइम मांगा, लेकिन कंपनी ने ओवर टाइम देने से मना कर दिया। 28 अप्रैल को हकामा (लोकल आईडी) समाप्त हो गई। मोवासलात अलजजीरा कंपनी जबरन काम करवाना चाहती थी, कंपनी को हकामा बनाने के लिए बोला गया, कंपनी ने हकामा बनाने से मना कर दिया। इस दौरान सभी लोगों को पूरा वेतन नहीं दिया गया। इसके बाद कंपनी एक कागज पर साइन करने के लिए कहा, लेकिन इन लोगों ने साइन करने से मना कर दिया, तब इनको 13 जून को कमरे से निकाल दिया गया। तीन-चार दिन तो सड़क किनारे सोना पड़ा।

 

भारतीय दूतावास में गए थे,लेकिन मदद नहीं मिली

यह पीड़ित युवक भारतीय दूतावास में मदद मांगने के लिए गए थे, लेकिन वहां पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई। इन युवकों ने रियाद एबेंसी से मदद भी मांगी थी, रियाद एबेंसी ने कहा कि जदा एबेंसी में जाना पड़ेगा, अब यह युवा इधर-उधर भटकने को मजबूर है। इन युवकों ने भारतीय एबेंसी व भारत सरकार से मदद मांगी है, ताकि इनको वतन वापस लाया जा सके।