विश्व में संगीत का लोहा मनवाने वाले उस्ताद सुलतान खान का शेखावाटी से क्या रिश्ता था, पढ़िए पूरी स्टोरी

विश्व में संगीत का लोहा मनवाने वाले उस्ताद सुलतान खान का शेखावाटी से क्या रिश्ता था, पढ़िए पूरी स्टोरी

 शेखावाटी के सुपूत थे विश्वविख्यात  सारंगीवादक और शास्त्रीय गायक उस्ताद सुलतान खान 
 

  • राजस्थान अपने महान इतिहास, कला, संस्कृति के लिए देश दुनिया मे जाना जाता है। राजस्थान  राजाओं और संस्कृति रक्षकों की भूमि के साथ साथ गीत, संगीत, भोजन, भजन, और रोमांच की धरती है। 
  • हम ये जानकार गौरवान्वित महसूस करते है की राजस्थान की धरा पर जन्मे सपूतों ने देश विदेश के विभिन्न क्षेत्रों मे अपनी कला के दम पर लोहा मनवाया है । इस धरा के कण कण मे गीत और संगीत की मधुर ध्वनि है।
  • आज हम बात कर रहे है शेखावाटी मे जन्मे उस कोहिनूर हीरे  उस्तादसुलतानखान की। उस्ताद सुल्तान खान विश्व प्रसिद्ध सारंगी वादक और शास्त्रीय गायक थे।
  • शेखावाटी के  सीकर में जन्मे और जोधपुर संगीत घराने से ताल्लुक रखने वाले सुल्तान खान 11 साल की उम्र से ही स्टेज पर प्रस्तुति देने लगे थे। उस्ताद सुल्तान खान का पहला और आखिरी प्यार सारंगी बजाना था। 
  • जब हिन्दुस्थान मे सारंगी वादन विलुप्त होता जा रहा था उस समय अपनी कला और प्रतिभा के बल पर हिन्दुस्थान मे सारंगी को पुनर्जीवित कर लोकप्रिय बनाया इतना ही नहीं भारत मे सारंगी को नई पहचान दिलाने वाले भी उस्ताद सुल्तानखान ही थे।
  • देश के हर बड़े कलाकार के साथ उन्होने परफ़ॉर्म किया। भारत रत्न पंडित रवि शंकर, भारत रत्न लता मंगेशकर, तबला वादक जाकिर हुसैन, तबला वादक अल्लारक्खा, बांसुरी वादक हरि प्रसाद चौरसिया और संतूर वादक पंडित शिव कुमार जैसे कलाकारों के साथ संगत की और अपनी कला का प्रदर्शन कर कलाकारों और लोगों को अपना दीवाना बनाया। 
  • उस्ताद सुल्तान खां की कला से न केवल हिंदुस्तान के बल्कि  विदेशों के कलाकार भी दीवाने हो गए। मशहूर पॉप गायिका मडोना भी सुल्तान खान के वादन से इतनी प्रभावित हुई कि स्टेज शो मे सारंगी वादन का निमंत्रण दे दिया। 
  • यही नहीं हॉलीवुड के मशहूर निर्माता रिचर्ड एटनबरो की फिल्म गांधी में भी उन्होने सारंगी बजाई। इस फिल्म को फिल्म जगत का सर्वोच्च सम्मान ऑस्कर अवॉर्ड  मिला। 
  • शेखावाटी के इस लाल की प्रतिभा से स्वर कोकिला भारत रत्न लता मंगेशकर बहुत प्रभावित हुई, लता को सुल्तान के सारंगी वादन के अलावा उनकी आवाज बहुत अच्छी लगी। 
  • सारंगी वादन पर सुल्तान खान की गजब की पकड़ थी साथ ही उनकी आवाज भी उतनी ही सुरीली थी।
  • सुल्तान 11 वर्ष की आयु में ही भारत रत्न पंडित रविशंकर के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तुति दे चुके थे। 
  • सुल्तान खान ने कभी नहीं सोचा था कि वे फिल्मों और एलबम मे गाना गाएंगे लेकिन भारत रत्न लता मंगेशकर और विश्व प्रसिद्ध तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन के कहने पर सुल्तान खान ने फिल्मों और एलबम मे गायन शुरू किया। 
  • बॉलीवूड की मशहूर फिल्म  हम दिल दे चुके सनम के गाना  अलबेला सजन आयो रे को सुल्तान खान ने ही गाया था। 
  • इस गाने मे सुल्तान की आवाज सुनकर लगता है कि शेखावाटी के इस लाल की आवाज पहाड़ों से भी ऊंची रही है। गाने मे राग अहीर भैरव का उपयोग किया गया।  बॉलीवुड इंडस्ट्री मे सुल्तान खान ने एक महान क्लासिकल गाना दिया जो सदैव ही जीवंत रहेगा।
  • इसके साथ ही पिया बसंती’ और ‘लेजा-लेजा’ जैसे अनेक गीतों मे अपनी सुरमयी आवाज देकर सांरगी वादक और शास्त्रीय गायक सुल्तान खां ने गायन मे भी लोहा मनवाया।  
  • भारत सरकार ने उस्ताद सुलतान खान को वर्ष 2010 मे पद्मभूषण और दो बार  संगीत नाटक अकादमीअवार्ड दिया। महाराष्ट्र सरकार ने भी स्वर्ण पदक पुरस्कार से नवाजा।
  • अमेरिका ने भी सुल्तान खान को अमेरिकन अकेडमी ऑफ आर्टिस्ट अवॉर्ड वर्ष 1998 मे दिया साथ ही महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने अपने सबसे बड़े बेटे प्रिंस चार्ल्स के जन्म दिन पर सारंगी परफ़ॉर्म करने हेतु उस्ताद सुल्तान खान से आग्रह किया । 
  • सारंगी का वह बेताज बादशाह, सुरीली आवाज का धनी और हिन्दी संगीत जगत मे विशेष स्थान रखने वाला  शेखावाटी का ये लाल 27 नवंबर 2011 को संसार को अलविदा कह गया। 
  • ऐसे लिजेंड कलाकार का जन्म सदियों मे एक बार होता है। उस्ताद सुल्तान खान की कला को शब्दों मे नहीं पिरोया जा सकता। धन्य है ऐसे माता पिता जिनके घर ऐसे पुत्र का जन्म हुआ। 
  • भारतीय वाद्य यंत्र सारंगी को विश्व भर में लोकप्रिय बनाने वाले सुल्तान खान की सुरीली आवाज के लाखों लोग आज भी दीवाने हैं। इन्होंने युवा पीढ़ी में सारंगी को लोकप्रिय बनाया। 
  • उस्ताद सुलतान खान को हमेशा सांरगी को जीवित करने के और उनकी अनोखी आवाज के लिए जाना जाता रहेगा। उनकी समृद्ध विरासत सदैव जिंदा रहेगी। धन्य है धरती धोरा री । 

लेखक
प्रमोद सोनी 
राजस्व अधिकारी