PM मोदी की 20 रैलियों पर भारी पड़ी ममता बनर्जी की व्हील चेयर, बंगाल में TMC की हैट्रिक
पश्चिम बंगाल में कमल खिलाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर अमित शाह सहित बीजेपी ने अपने नेताओं की पूरी फौज उतार दी थी, लेकिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की चोट ने राज्य की सियासत का नक्शा बदल दिया. पीएम मोदी की बंगाल में की गई 20 रैलियों पर ममता बनर्जी की व्हील चेयर पर की गई जनसभाएं भारी पड़ती दिख रही हैं.

नई दिल्ली।
ममता बनर्जी की पश्चिम बंगाल में सत्ता की हैट्रिक
टीएमसी को 200 से ऊपर सीटें मिलती दिख रहीं
ममता ने पूरा बंगाल चुनाव व्हील चेयर करती दिखीं
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी की अगुवाई में उतरी टीएमसी सत्ता की हैट्रिक लगाती नजर आ रही है. बंगाल में कमल खिलाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर अमित शाह सहित बीजेपी ने अपने नेताओं की पूरी फौज उतार रखी थी, लेकिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की चोट ने राज्य की सियासत का नक्शा बदल दिया. पीएम मोदी की बंगाल में की गई 20 रैलियों पर ममता बनर्जी की व्हील चेयर पर की गई जनसभाएं भारी पड़ती दिख रही है.
बंगाल की 292 सीटों के शुरुआती रुझान को देखें तो ममता बनर्जी एक बार फिर प्रचंड बहुमत के साथ तीसरी बार सरकार बनाती नजर आ रही है. टीएमसी 200 प्लस सीटें मिलती दिख रही है जबकि बीजेपी 100 सीटों के अंदर सिमटती दिख रही है. वहीं, कांग्रेस-लेफ्ट गठबंधन का सफाया हो गया है और उसे महज 2 से तीन सीटें मिलती दिख रही हैं. माना जा रहा है कि ममता का व्हील चेयर पर बैठकर प्रचार करना टीएमसी के प्रति लोगों की सहानुभूति का जबरदस्त फायदा मिला.
नंदीग्राम विधानसभा सीट पर नामांकन के बाद ममता बनर्जी की को टखने में चोट लगने से घायल हो गई थी, जिसके बाद उन्हें कोलकाता के एक अस्पताल में एडमिट कराया गया था. अस्पताल से दो दिन के बाद छुट्टी दी गई, लेकिन जब वह अपने घर के लिए अस्पताल से निकलीं तो व्हील चेयर पर बैठी हुई थीं और उनके पैर में पट्टी भी बंधी थी. डॉक्टर ने उन्हें अगले कुछ दिनों तक आराम की सलाह दी थी, लेकिन चुनावी सिर पर हो और एक सत्तारूढ़ पार्टी की मुखिया यूं भला घर में कैसे बैठी रह सकती हैं.
ममता बनर्जी
ऐसे में ममता बनर्जी ने व्हील चेयर के सहारे चुनाव प्रचार करने की रणनीति अपनाई. बंगाल में जगह-जगह उनके व्हीलचेयर वाले पोस्टर लगाए लगाए गए थे और टीएमसी ने सोशल मीडिया में इस लेकर कैंपेन भी चलाया था. साथ ही बंगाल की दिवारों पर ममता की व्हील चेयर बैठे ड्रॉइंग बनाई गई थी. माना जा रहा है कि चुनाव में ममता बनर्जी को बंगाल की जनता की सहानुभूति मिली और चुनाव में टीएमसी को जबरदस्ता फायदा मिलता दिख रहा है.
हालांकि, ममता का व्हील चेयर पर चुनाव प्रचार करने का यह तरीका विपक्षी पार्टियों के लिए सिरदर्द बन गया था. चोटिल ममता के पक्ष में जनता की भावनाएं उमड़ न जाएं इसको ध्यान में रखते हुए सियासी पार्टियां अपने बयान को सामने रख रह रहे थे. बीजेपी से लेकर कांग्रेस तक ममता की चोट को नौटंकी करार दिया था. अधीर रंजन चौधरी ने कहा था कि ममता ने टीएमसी की हार को भांपकर एक तरह का नाटक रचा है. ये सब कुल सहानुभूति हासिल करने के लिए है.
ममता बनर्जी ने नंदीग्राम में चोटिल होने के बाद ममता बनर्जी ने सारी चुनावी सभाओं को व्हील चेयर पर बैठे-बैठे संबोधित कर रही थी. ममता के हेलीकाप्टर से लेकर मंच पर चढ़ाने के लिए विशेष रैंप बनाया गया था. सुरक्षाकॢमयों से घिरीं ममता बनर्जी के तेवर तल्ख थे, चेहरे पर चोट की शिकन लिए हुए प्रचार कर रही थी. उन्होंने इसे लेकर लोगों के मन में पैठ करने का प्रयास किया. ममता ने मुर्शिदाबाद सहित तमाम रैलियां में कहती दिखीं कि मेरे पैर में बहुत पीड़ा है, लेकिन यह बांग्ला मानुष के दर्द से काफी कम है.
मुट्ठी भींचकर समर्थकों को ललकारते हुए कहती, 'खेला होबे'. चुनावी नतीजों से साफ जाहिर हो रहा है कि ममता का व्हील चेयर पर प्रचार करना टीएमसी के लिए सियासी फायदा के सौदा साबित हो.