जानिए, गुरु तेग बहादुर जी को क्यों कहा गया ‘हिंद की चादर’

जानिए, गुरु तेग बहादुर जी को क्यों कहा गया ‘हिंद की चादर’

आज ’28 नवंबर, 2022′ को गुरु तेग बहादुर जी का शहादत दिवस है। वह सिखों के नौवें गुरु थे। गुरु तेग बहादुर जी ’28 नवंबर, 1675′ को शहीद हुए थे। गुरु तेग बहादुर जी की शहादत को हर साल ‘शहीदी दिवस’ के रूप में याद किया जाता है।

सिखों के 9वें गुरु जिन्होंने हिंदू धर्म के लिए बलिदान किया अपना शीश

गुरु तेग बहादुर जी ने धर्म, मानवीय मूल्यों, आदर्शों और सिद्धांतों की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी थी। सिख धर्म ही नहीं, बल्कि सारे धर्मोंं के अनुयायी उनके बलिदान को बड़ी श्रद्धा से याद करते हैं। वे जबरन धर्मांतरण के घोर विरोधी रहे और उन्होंने कश्मीरी पंडितों को इससे बचाया था। मुगल बादशाह औरंगजेब के आदेश पर ही उनका सिर कलम कर दिया गया था, क्योंकि उन्होंने इस्लाम में परिवर्तित होने से इनकार कर दिया था।

क्यों कहा गया ‘हिंद की चादर’ ?

धैर्य, वैराग्य और त्याग की मूर्ति गुरु तेग बहादुर ने करीब 26 साल तक साधना की थी। उन्होंने गुरु नानक के सिद्धांतों का प्रचार करने के लिए देश में कश्मीर और असम जैसे स्थानों की लंबी यात्रा की। अंधविश्वासों की आलोचना कर समाज में नए आदर्श स्थापित किए। गुरु तेग बहादुर ने आस्था, विश्वास और अधिकारी की रक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया था। माना जाता है कि उनकी शहादत दुनिया में मानव अधिकारियों के लिए पहली शहादत थी, इसलिए उन्हें सम्मान के साथ ‘हिंद की चादर’ कहा जाता है। ऐसे में आइए हम सब गुरु तेग बहादुर जी के एकता और भाईचारे के जीवन मूल्यों को अपनाने का संकल्प लें।

पीएम मोदी ने ट्वीट कर किया नमन 

इस मौके पर पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा, ”मैं श्री गुरु तेग बहादुर जी की शहादत दिवस पर उन्हें कोटि-कोटि नमन करता हूं। उनके साहस, सिद्धांतों और आदर्शों के प्रति अटूट प्रतिबद्धता के लिए उनकी व्यापक रूप से प्रशंसा की जाती है। वह अत्याचार और अन्याय के आगे नहीं झुके। उनकी शिक्षाएं हमें प्रेरित करती रहती हैं।”

I pay homage to Sri Guru Teg Bahadur Ji on the day of his martyrdom. He is universally admired for his courage and unwavering commitment to his principles as well as ideals. He refused to bow to tyranny and injustice. His teachings continue to motivate us.

— Narendra Modi (@narendramodi) November 28, 2022

उनकी वीरता, शिक्षा एवं उपदेश के कई किस्से इतिहास में दर्ज

यही कारण है कि आज उनकी  345 वीं पुण्यतिथि पर भी उन्हें पूरे श्रद्धाभाव व सम्मान के साथ याद किया जाता है। केवल इतना ही नहीं देश के स्वर्णिम इतिहास में उनके नाम पर कई वीरता के उनकी शिक्षा एवं उपदेश के कई किस्से दर्ज हैं। यही वजह है कि आज देशभर में गुरु तेग बहादुर जी का ‘शहीदी दिवस’ मनाया जा रहा है। गुरु तेग बहादुर जी के शहीदी दिवस के अवसर पर, समस्त देशवासी उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं। राष्ट्र में उनके बलिदान को सदैव याद किया जाएगा। उनका यह बलिदान समस्त मानवता के लिए था, जिसके लिए उनको ‘हिन्द की चादर’ कहा गया है।

गुरु तेग बहादुर जी के बारे में जानने योग्य तथ्य:

– कहा जाता है कि जैसे ही तेग बहादुर जी के जन्म की खबर फैली, छठे गुरु, गुरु हरगोबिंद जी खुद बच्चे को देखने गए और जैसे ही उन्होंने देखा, उन्होंने भविष्यवाणी कर दी कि “मेरे पांच पुत्रों में से, वह पांच गुरुओं में स्थान लेगा। वह कमजोरों की रक्षा करेगा और उनके संकट को दूर करेगा। यही उसका मुख्य चिन्ह होगा।”

– गुरु तेग बहादुर जी का जन्म त्याग मल के रूप में हुआ था। गुरु तेग बहादुर नाम उन्हें गुरु हरगोबिंद ने दिया था

– गुरु तेग बहादुर जी को भाई बुद्ध ने तीरंदाजी और घुड़सवारी का प्रशिक्षण दिया था और भाई गुरदास ने उन्हें पुरानी क्लासिक्स सिखाई थी

– बकाला में, गुरु तेग बहादुर जी ने लगभग 26 साल 9 महीने 13 दिनों तक ध्यान किया। वह अपना अधिकांश समय ध्यान में व्यतीत करते थे

– उन्होंने गुरु ग्रंथ साहिब में श्लोक समेत कई भजनों और दोहों का योगदान दिया

– उनकी रचनाओं में 116 शबद और 15 राग शामिल हैं

– उनकी रचनाएं आदि ग्रंथ में शामिल हैं

– गुरु तेग बहादुर जी को गुरु नानक जी की शिक्षाओं का प्रचार करने के लिए बड़े पैमाने पर यात्रा करने के लिए जाना जाता है

– उन्होंने 1665 में पंजाब में आनंदपुर साहिब शहर की स्थापना की थी