जानें, एनीमिया मुक्त भारत अभियान में किसे मिला पहला स्थान, क्या है बीमारी और उसके लक्षण

जानें, एनीमिया मुक्त भारत अभियान में किसे मिला पहला स्थान, क्या है बीमारी और उसके लक्षण

लौह तत्व यानि आयरन हमारे शरीर के लिए काफी जरूरी है। आयरन की कमी से कई बीमारी की संभावना बढ़ जाती है और सबसे पहले एनीमिया के शिकार होते हैं। क्या है एनीमिया और इसके लक्षण, देश से इस बीमारी को दूर करने के लिए क्या कुछ प्रयास किए जा रहें हैं, जानते हैं।
 
क्या है एनीमिया?


एनीमिया का अर्थ है, शरीर के अंदर एक ऐसी स्थिति का हो जाना, जिसमें खून की कमी हो जाए और इस कारण मानव शरीर धीरे-धीरे साथ देना बंद करने लगे। अगर समय रहते इसका निदान न किया जाए, तो यह बीमारी गंभीर रूप ले लेती है। फिर रोगी की असमय मृत्यु तक हो जाती है। इसलिए केंद्र एवं राज्य सरकारें बीमारी के उन्मूलन के लिए स्वास्थ्य क्षेत्र में कई पहल कर रही हैं। कई बार कैंप लगा कर एवं स्वास्थ्य सर्वेक्षण कर घर-घर खून की जांच तक की जाती है, जिससे देश की आम जनता को स्वस्थ रखा जा सके।
 
खून की कमी से होता है एनीमिया


दरअसल, हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन एक ऐसा तत्व है, जो शरीर में खून की मात्रा बताता है। पुरुषों में इसकी मात्रा 13.8 से 17.2 ग्राम/डीएल और महिलाओं में 12.1 से लेकर 15.1 ग्राम/डीएल (ग्राम/डीएल = प्रति ग्राम लीटर का दशमांश) होनी चाहिए। इस बीमारी को रक्ताल्पता भी कहते हैं और इसके होने के तीन प्रमुख कारण होते हैं। पहली- खून की कमी। दूसरी- लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन में कमी और तीसरी- लाल रक्त कोशिकाओं के विनाश की उच्च दर का किसी भी शरीर में पाया जाना ।
 
ऐसे लोगों को होता है आसानी से एनीमिया


एनीमिया को लेकर डॉ. आशीष दुबे कहते हैं कि सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि यह रोग होता क्‍यों है? उन्‍होंने बताया कि ऐसे लोग, जो लंबे समय से किसी बीमारी या इंफेक्शन के शिकार हैं, उन्हें एनीमिया आसानी से हो जाता है। एनीमिया के कुछ प्रकार अनुवांशिक भी हैं, लेकिन यह खराब डाइट और जीवनशैली की वजह से ही ज्यादातर होता है।
 
एनीमिया के लक्षण


उन्‍होंने कहा कि जहां तक इसके लक्षणों के मिलने का प्रश्‍न है, तो थकान, कमजोरी, त्वचा का पीला होना, दिल की धड़कन का असामान्य होना, सांस लेने में तकलीफ, चक्कर आना, सीने में दर्द, हाथ-पैरों का ठंडा होना, सिरदर्द आदि एनीमिया की तरफ इशारा करते हैं। इसके अलावा स्टूल के कलर में बदलाव, कम ब्लड प्रेशर, स्किन का ठंडा पड़ना, स्प्लीन का साइज बढ़ना भी एनीमिया के लक्षण हैं।
 
इस स्थिति में भी डॉक्टर से करें संपर्क


यदि सिर, छाती या पैरों में असामान्य दर्द हो, जीभ में जलन हो, मुंह और गला सूखे, मुंह के कोनों पर छाले हो जाएं, बालों का कमजोर होकर टूटना शुरू रहे, निगलने में तकलीफ होने लगे, स्किन, नाखून और मसूड़ों का पीला पड़ना जैसे लक्षण दिखाई दें, तो समझ लेना चाहिए कि यह एनीमिया के गंभीर लक्षण हैं। अगर एनीमिया लगातार बना रहे, तो डिप्रेशन का रूप ले सकता है। इसलिए बिना देर किए डॉक्टर के पास जाएं और अपना इलाज शुरू करवाएं।
 
शरीर में कितना रहना चाहिए हीमोग्लोबिन?


डॉ. विनीत चतुर्वेदी ने कहा कि एनीमिया तीन तरह का होता है- माइल्ड, मॉडरेट और सीवियर। यदि मनुष्‍य शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा 10 से 11 ग्राम/डीएल पर है, तो यह एक तरह से माइल्ड एनीमिया के लक्षण हैं। यह जब आठ से नौ ग्राम/डीएल पर आ जाए तो इसे मॉडरेट एनीमिया कहा जाता है और जब यह हीमोग्लोबिन आठ ग्राम/डीएल से भी नीचे पहुंच जाए, तो चिकित्सकों की भाषा में कहें, तो यह स्थिति बहुत गंभीरता को दर्शाने लगती है। हीमोग्लोबिन जितना नीचे जाएगा, मरीज के लिए जीवन का खतरा उतना ही बढ़ता जाता है, जिसेे तुरंत खून चढ़ाए बिना दूर नहीं किया जा सकता है ।
 
बीमारी होने के कारण


डॉ. कहते हैं कि एनीमिया कई वजहों से होता सकता है, जिसमें अहम रूप से लगातार खून बहने की वजह से भी शरीर में खून की कमी हो जाती है। फोलिक एसिड, आयरन, प्रोटीन, विटामिन सी और बी 12 की कमी भी इसके पीछे का कारण है। फैमिली हिस्ट्री में ल्यूकेमिया या थैलेसीमिया की बीमारी रही है, तो फिर उस स्थिति में एनीमिया होने के चांस 50 फीसदी बढ़ जाते हैं। ऐसे में जहां भारत सरकार का जोर है, इसे दूर किया जाए, वहीं, राज्‍य सरकारें इसे दूर करने के लिए अपने प्रोग्राम चला रही हैं, जिसमें कि इस समय मध्‍य प्रदेश में बहुत अच्‍छा कार्य हो रहा है।