कोरोना से जीतने के लिए वैश्विक टीकाकरण की है जरूरत

कोरोना की दूसरी लहर के बीच विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव आशुतोष शर्मा ने कोरोना वायरस के नए वेरिएंट की चुनौतियों, गणितीय मॉडल की सीमित संभावनाएं, इन्फेक्शन को बढ़ने से रोकने की नीति पर दूरदर्शन से बात की। इस बातचीत में उन्होंने महामारी को लेकर सरकार की रणनीति के बारे विस्तार से बताया है। बातचीत के प्रमुख अंश निम्नलिखित हैं :
सवाल- क्या देश की साइंटिफिक कम्युनिटी कोरोना की दूसरी लहर से जो हालात उत्पन्न हुए हैं, उनके लिए तैयार थी ?
जवाब- जैसा की आप सब जानते हैं जब देश में पहली लहर का असर कम हो रहा था, तब विभिन्न प्रकार के स्रोतों से कई जानकारियां आ रही थीं, जिसे सरकार द्वारा स्वीकारा गया। उस समय उन्हीं जानकारियों और सूचनाओं के आधार पर कोरोना के भविष्य को आंका जा रहा था। अनेक संस्थाएं और एजेन्सीस इसके बारे में उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर अनुमान लगा रहे थे। इस समय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, वैश्विक और भारतीय स्तर पर महामारियों के गणितीय मॉडल के बारे में अध्ययन कर रहा था, जिसमें से ज्यादातर ने अप्रैल के शुरू और मई के अंत के दौरान कोरोना के पीक पर होने का, 1 लाख मामलों या इससे कम का अनुमान लगाया था। निश्चित तौर पर वायरस की तीव्रता और गति का कोई सही अनुमान नहीं लगा पाया। यह सिर्फ भारत के साथ ही नहीं दुनिया के कई देशों के साथ हुआ। उन्हे मालूम ही नहीं चला कि कोरोना की दूसरी लहर पहली लहर से ज्यादा खतरनाक होगी। संभव है यह वायरस के तेजी से होते म्यूटेशन के कारण या फिर लोगों के व्यवहार में आई ढिलाई के कारण ऐसा हुआ हो।
सवाल- नौजवानों विशेषकर 18-40 वर्ष के लिए वैक्सीन लगना क्या कोविड के खिलाफ लड़ाई में गेमचेंजर साबित हो सकती है? इसपर आप क्या सोचते हैं ?
जवाब- देखिए हर्ड इम्यूनिटी का मतलब होता है 70% से अधिक लोगों में एंटीबॉडी विकसित होना। चाहे यह एंटीबॉडी पहले संक्रमित होने के कारण पनपी हो या फिर टीकाकरण के बाद,जैसा कि हम जानते हैं कि सरकार ने घोषणा की है कि दिसंबर तक हम पर्याप्त संख्या में हर्ड इम्यूनिटी लोगों में विकसित कर सकेंगे।
सवाल- बहुत सारे लोग हर्ड इम्यूनिटी के बारे में अलग अलग बोलते हैं। कोई बोलता है कि 60%, कोई 70% तो कोई 80% लोगों में एंटीबॉडी विकसित होने को हर्ड इम्यूनिटी मानता है। इसका कोई आधिकारिक मानक है क्या ?
जवाब- कोविड-19 एक वैश्विक महामारी है। अगर दुनिया के एक हिस्से का पूरी तरह टीकाकरण कर दिया जाए फिर भी इसका यह मतलब नहीं है कि उस हिस्से में कोविड खत्म हो जाएगा। जब तक यह दुनिया के किसी भी हिस्से में मौजूद रहेगा, इसकी सारी दुनिया में फैलने की संभावनाएं भी रहेंगी। इसलिए हमें वैश्विक स्तर पर टीकाकरण की जरूरत है। हां, अगर हम दुनिया की कुल जनसंख्या के 70% लोगों का टीकाकरण कर पाएं तो बहुत हद तक इसपर काबू पाया जा सकता है, लेकिन फिलहाल टीके की अनुपलब्धता के चलते हम सभी ने अपनी कुछ प्राथमिकताएं तय की हैं, जैसे कि पहले मेडिकल कम्युनिटी के लोगों को टीका देना फिर बुजुर्गों को या गंभीर बीमारी वाले व्यक्तियों को देना आदि। दुनिया के सभी देश इसी प्रकार टीकाकरण कर रहे हैं।