जामताड़ा के साइबर ठगों ने की थी रिटायर्ड फौजी के 7.98 लाख रुपए की ऑनलाइन ठगी, पुलिस ने पूरे रुपयों की रिकवरी

जामताड़ा के साइबर ठगों ने की थी रिटायर्ड फौजी के 7.98 लाख  रुपए की ऑनलाइन ठगी, पुलिस ने पूरे रुपयों की रिकवरी

 नवलगढ़। 
ऑनलाइन ठगी के शिकार हुए  रिटायर्ड फौजी के ठगे गए रुपए वापस रिकवर कर नवलगढ़ पुलिस ने बड़ी सफलता प्राप्त की है। पुलिस ने फौजी के 7.98 लाख रुपए वापस रिकवर करवा दिए है। अब फौजी के परिवार ने पुलिस का आभार जताया है। इस ठगी के पिछे साइबर ठगों के गढ़ बने चुके झारखंड के जामताड़ा के साइबरों ठगों का हाथ था। अब पुलिस ने इन ठगों की तलाश शुरू कर दी है। सीआई सुनील शर्मा ने बताया कि सेवानिवृत फौजी प्रमोद कुमार जाट ने नौ जुलाई को ऑनलाइन ठगी का मुकदमा दर्ज करवाया था। इसके बाद सीआई ने तुरंत जांच शुरू कर दी, जांच में यह बात सामने आई की इस इस ठगी के पिछे जामताड़ा के साइबरों ठगों का हाथ है। इन ठगों ने रिमोट कमांड एप्लीकेशन डाउनलोड करवाकर ऑनलाइन शॉपिंग कर ली, एफडी बनवा व कुछ राशि अपने बैंक खातों में ट्रांसफर कर दी। इसके बाद सीआई ने कहा कि ऑनलाइन ठगी में 72 घंटे महत्वपूर्ण होते है। सीआई ने बैंकिंग संस्थानों से संपर्क कर राशि को स्टॉप करवा दिया। इसके बाद उन्होंने इस राशि को रिकवर करने के प्रयास शुरू कर दिए। सीआई ने अपने सूत्रों से साइबर ठगों की लोकेशन चिहिन्त की और वहां की पुलिस से संपर्क किया, लेकिन साइबर ठग अपनी लोकेशन छोड़कर भाग गए। पुलिस अब इन साइबर ठगों की तलाश में जुट गई और उनकी पूरे गैंग की कड़ी से कड़ी जोड़ने में जुट गई है। इस मामले में कास्टेबल अशोक कुमार व मुकेश कुमार पूरी तरह से जुटे रहे है। जामताड़ा साइबर ठगों द्वारा की गई की गई ठगी राशि की रिकवरी करना पुलिस के लिए बड़ी चुनौती होता है, लेकिन पुलिस ने आरोपियों की गिरफ्तारी से पहले पूरी राशि रिकवर करना एक बड़ी सफलता है।

लेपटॉप पर एक साथ जुड़े रहे 27 प्लेटफार्म पर एक साथ
मुकदमा दर्ज होने के बाद सीआई सुनील शर्मा ने पीड़ित प्रमोद को नौ जुलाई की रात थाने में वापस बुला लिया। इसके बाद उन्होंने प्रमोद से ठगी की पूरी जानकारी ली। उन्होंने इस ठगी को एक चैलेंज के रूप में लिया। ऑनलाइन ठगी में 72 घंटे महत्वपूर्ण होते है, इसलिए उन्होंने काम करना शुरू कर दिया। उन्होंने तुरंत नोडल अधिकारी, साइबर थाना, बैंक के कस्टम केयर व व्यक्तिगत संपर्क के लोगों से संपर्क किया। उन्होंने अपने लेपटॉप पर करीब 27 प्लेटफार्म जोड़ रखे थे। उन्होंने साइबर ठगों की लोकेशन निकलवाई, जिसमें उनकी लोकेशन जामताड़ा निकली। उनके सभी मोबाइल ट्रेस किए गए। इसके अलावा बैंकिंग संस्थान, साइबर पुलिस व गूगल, शॉपिंग कंपनी व ऑनलाइन सेवा देने वाली कंपनियों  से भी संपर्क किया।  इसके बाद सीआई रात एक बजे के करीब फौजी को इस विश्वास के साथ घर भेज दिया कि ठगी की पूरी राशि , इसके बाद वे करीब दो बजे तक इस मामले में जुटे रहे। पुलिस दावे के अनुसार ठगों को पुलिस मूवमेंट की जानकारी मिल गई, जिसके बाद साइबर ठगों ने अपने मोबाइल स्वीच ऑफ कर लिए। इस दौरान पुलिस को पेमेंट रिकवर करने का समय मिल गया और उन्होंने पेमेंट रिकवर करने की पूरी कार्रवाई कर दी। इसके बाद यह राशि पूरी रिकवर हो गई । 
फिल्पकार्ट से खरीदे महंगे मोबाइल
साइबर ठगों की गैंग ने पीड़ित का मोबाइल हैक कर फिल्पकार्ट के जरिए शॉपिंग  की। ठगों ने 71789, 51789 व 124999 रुपए की शॉपिंग की। उन्होंने महंगे मोबाइल खरीदे। इसके अलावा डेढ़-डेढ लाख की तीन एफडी बनवा ली, लेकिन पुलिस ने इसे होल्ड करवा दिया। उन्होंने 24000-24000 रुपए ऑनलाइन ट्रांसफर कर दिए। लेकिन 13 जुलाई को पूरे 7.98 लाख रुपए रिकवर होकर प्रमोद जांगिड़ के खाते में आ गए। ऑनलाइन ठगी में 72 घंटे महत्वपूर्ण होते है। सीआई ने तय समय में ठगों द्वारा मुवमेंट किए जाने से पहले सभी ट्राजेक्शन पर रोक लगवा दी और राशि रिकवर कर ली। 48 से 72 घंटे लगने पर पैसा वापस की उम्मदी खत्म हो जाती है।
नकली कसटम केयर नंबर डालते है
साइबर ठग इतने शातिर होते है कि बैंकों के नकली कस्टम केयर भी नंबर भी गूगल सर्च पर डाल देते है। इसके बाद बैंकों के खाताधारकों के डाटा भी चुराकर रखते है। फिर यह कस्टमरों को कॉल करते है, उसके खाते के कुछ नंबर व पेन कार्ड के कुछ नंबर बताकर ग्राहक को विश्वास में लेते है। फिर उससे रिमोट कमांड एप्लीकेशन डाउनलोडकर करवाकर मोबाइल को हैक कर लेते है और इसके बाद साइबर ठग रुपयों को ऑनलाइन ठगी कर लेते है। 
कैसे की ठगी
प्रमोद कुमार जाट निवासी देलसर कलां 28 फरवरी को फौज से रिटायर हुआ।  उसकी पेंशन शुरू नहीं हो पा रही थी। पूर्व सैनिक ने  नौ जुलाई घूमचक्कर स्थित एसबीआई बैंक में फोन किया और बताया कि उनकी पेंशन शुरू नहीं हो पा रही है, इस बारे में बैंक के कस्टमकेयर पर भी फोन कर इस परेशानी के बारे में बताया। इसके बाद शाम 4.19 बजे एक मोबाइल नंबरों से फोन आया और बोला की वह बैंक से बोल रहा है। उसने कहा कि आपकी पेंशन रुकी हुई है, आपका बैंक खाता नंबर यह है। फोन करने वाले व्यक्ति ने बैंक एटीएम कार्ड के शुरू के चार के नंबर व लास्ट चार नंबर बताए व पेनकार्ड के नंबर बताए। इस पर पूर्व सैनिक को यह पूरा विश्वास हो गया है कि फोन करने वाला व्यक्ति बैंककर्मी ही है।
इसके बाद उसने भरोसे में लेकर क्यूएस नाम का एप डाउनलोड करवा लिया।  इसको डाउनलोड करते ही खाते से रुपए उड़ने शुरू हो गए। इस दौरान उसके पास ओटीपी नंबर भी आए, लेकिन इस बारे में नहीं पूछा। उसने बताया कि पेंशन के रूपए डाल रहे है व खाता भी अपडेट हो रहा है। इस दौरान बैंक का ऐप्प व मोबाइल सिम हैक हो गई। बाद में पूर्व सैनिक तुरंत क्यूएस ऐप्प को डिलिट किया और बैंक को ठगी के बारे में सूचित किया। 
जामताड़ा के ठगों पर अमेरिका करेगा रिसर्च 
 झारखंड का जामताड़ा  साइबर अपराधियों का सबसे बड़ा गढ़ और  साइबर अपराधों के लिए देश भर में बदनाम है।  देश में साइबर फ्रॉड के ज्यादातर मामले कहीं न कहीं जामताड़ा से जुड़े होते हैं।  जामताड़ा के नाबालिग भी किसी पढ़े लिखे आईटी इंजीनियर से कम नहीं है।  यहां के साइबर ठग पढ़े लिखे लोगों  को चुटकी बजा कर ठगी का शिकार बना लेते हैं और सामने वाले को भनक भी नहीं लगती। इस पर एक बेव सीरिज भी बन चुकी है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार जामताड़ा के इन शातिर ठगों पर अब अमेरिका रिसर्च करने वाला है। जामताड़ा के ये ठग इतने पढ़े लिखे नहीं है लेकिन फिर भी इन्होंने लाखों पढ़े-लिखे और अमीर लोगों को ठगा है।