आपका मंच, आपके दिल की बात, अब राजस्थान पोस्ट पर। आज बुरा हैं कल अच्छा भी आयेगा वक्त ही तो है रुक थोड़े जाएगा।।

आपका मंच, आपके दिल की बात, अब राजस्थान पोस्ट पर। आज बुरा हैं कल अच्छा भी आयेगा वक्त ही तो है रुक थोड़े जाएगा।।

काश! मरते हुए लोगों में जान फूँकने का हुनर मेरे पास होता तो मैं किसी को मरने ना देती।  उनका यूँ ही अचानक से मर जाना.. नजाने कई दिनों से खटक रहा है.. मुझे।
मुझे पता है क़ुसूर किसी का नहीं लेकिन नैतिक ज़िम्मेदारी किसकी है? माना कि लोग बेवकूफ़ हैं.. गाॅइडलाइन्स तक फ़ाॅलो नहीं कर पा रहे.. लापरवाह हैं.. ज़ाहिल हैं.. सब क़ुसूर मान लिया लेकिन अपने लोगों के क़ुसूर का मतलब ये है कि- उनको मरता छोड़ दें? कहीं बेड नहीं है हाॅस्पिटल में तो कहीं ऑक्सीजन सिलेंडर.. कुछ लोग कालाबाज़ारी में लग गये हैं तो कुछ बिचौलिए बन बैठे हैं। हालात दिन-ब-दिन ख़राब होते जा रहे हैं जिस तरफ़ रूख़ करो उधर चार लाशें पड़ी हुई हैं.. ऐसे में कोई कैसे ठीक हो सकता है? सुविधाओं के नाम पर सरकार ने हमसे हमारे वोट ले लिए और आज हालत ये है कि हमें हमारे हाल पर मरने को छोड़ दिया है। 

कुछ लोग मेरी इस बात से असहमत भी होंगे कि इसमें सरकार का क्या क़ुसूर? अगर सरकार का कोई क़ुसूर नहीं तो मरने वाले लोगों का क्या क़ुसूर है?
बातें बहुत है इस दौरान लेकिन बात करना अभी ठीक नहीं लग रहा.. जब अपने लोग मर रहे होते हैं तब सिवाय ख़ामोशी के और कुछ गले से नहीं उतरती। इस मुश्किल वक़्त में ये मान लेना ही ठीक है कि आपके साथ बस आप खड़े हैं.. आपको अपना ख़याल ख़ुद रखना है और खुद को मजबूत बनाना हैं क्योंकि इस दर्द की दवा अपने खुद के पास ही हैं।जीवन में जब आशाएँ खो जाएं,परिस्थितियां पूर्णतः विपरीत हों,जब खड़े हों आप पराजय के तटबंध पर,जब सब खत्म होने वाला हो सब कुछ...तो फिर एक बार मुस्कराइए और फिर से झाँकिये जीवन मे। फिर से उठिए और झोंक दीजिये खुद को,पूर्ण समर्पण के साथ...मुश्किल वक़्त हमेशा नही रहता...हिम्मत रखिये।
आज बुरा हैं कल अच्छा भी आयेगा
वक्त ही तो है रुक थोड़े जाएगा।।

अनमोल चौधरी
देवगांव (नवलगढ़)
झुंझुनूं