शेखावाटी के दिव्य संत महन्त योगी श्री नेमनाथजी महाराज

शेखावाटी के दिव्य संत महन्त योगी श्री नेमनाथजी महाराज

मीरण (श्रीकांत मुरारका)

श्री नेमनाथजी का जन्म मीरण गांव में खांडल विप्र भाटीवाड़ परिवार में विक्रम संवत 1986 माघ कृष्ण पक्ष दशमी अनुराधा नक्षत्र में प्रातः सुर्याेदय के समय हुआ (तद् दिनांक 24 जनवरी 1930) विश्व के इतिहास में एक मात्र ऐसा संयोग केवल यही देखने को मिलता है जहाँ एक परिवार में तीन सदस्य श्री भूरनाथजी महाराज पिता व माता श्री ज्यानकी देवी के एक मात्र पुत्र हो ओर तीनो ही महान तपस्वी व महान विभूति होते हुए सन्यास धारण कर मां गायत्री को सिद्ध कर जन कल्याण व भक्तो का उद्धार करने के लिए संसार में सतमार्ग ओर भक्तिमार्ग का प्रचार प्रसार करते हुये समाधिस्थ देवलोक गमन किया। परम श्रद्धेय श्री नेमनाथजी महाराज के पिताश्री एक अलौकिक व दिव्य संत थे। माता पिता दोनो ही एक दिव्य शक्ति होने के कारण अपने योग व तप के प्रभाव से एक पुत्र की प्राप्ति की। जिन्हे आज हम महन्त योगी नेमनाथजी महाराज के नाम से जानते है। चुंकि भूरनाथजी महाराज एक बड़े तपस्वी व सिद्ध संत थे। इसलिए मात्र छः महीने की अवस्था में  नेमनाथजी महाराज को माता मावड़ी (ज्यानकी नाथजी) को सुपुर्द कर गृह त्याग करके जनमानस में भक्ति व नाथ पंथ का प्रचार प्रसार करते हुये लोगो का कल्याण किया तत्पश्चात पालवास जाकर आश्रम की स्थापना की। समय पर्यन्त श्री नेमनाथजी ने अपनी किशोरावस्था से ही जप तप व ध्यान साधना करते हुये मां गायत्री को सिद्ध किया, अपनी मां की सेवा की ओर सम्वत 2008 में भोजासर गांव की बगीची में श्री नवानाथजी महाराज बऊधाम व श्री श्रद्धानाथजी महाराज लक्ष्मणगढ आश्रम की उपस्थिति में श्री भूरनाथजी महराज के द्वारा परम्परागत नाथ सम्प्रदाय की दीक्षा ली फिर अपने जीवन में पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करते हुये योगिक सम्प्रदाय की पालना करते हुये एक प्रखर सिद्ध योगी के रूप में उभर कर सामने आये। आपने अपने जीवन में कई गायत्री पुरश्चरण, श्रीमद्भागवत, गीता, रामायण, हवन, यज्ञ आदि के प्रभाव से भक्तो पर कृपा की। सन् 2004 जनवरी में सप्त दिवसीय भव्य यज्ञ के आयोजन के साथ पन्द्रह देवी-देवताओं की मुर्ति स्थापना श्रीनाथजी आश्रम मीरण पर करवाई।
सन् 2009 में तीन दिवसीय संत सम्मेलन बतीस मान का भंडारा करवाकर अपने आश्रम की ख्याति व शोभा बढाई। आपके द्वारा जरूरतमंद व असहाय की सहायता के साथ-साथ मूक पशू पक्षीयों के लिये चारा, दाना व पानी की व्यवस्था निरन्तर जारी रही है तथा गौ सेवा के साथ साथ सेवको के माध्यम से मंदिर व देवालयो का जिर्णोद्धार करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। आप वचन सिद्ध संत के रूप जाने जाते रहे है आपने अपने इस भौतिक शरीर का त्याग कर समाधिस्थ हुए है। आपके आश्रम की यह मान्यता रही है कि जो भी सेवक अपनी मनोकामना की अरदास समाधि पर लगाते है वह पूर्ण होती है। 
आपकी प्रथम वर्षाेदी के उपल्यक्ष में दिनांक 24 जनवरी 2023 मंगलवार को रात्री में श्रीनाथजी आश्रम, मीरण, मंे विशाल जागरण व भंडारा तथा दिनांक 25 जनवरी 2023 बुधवार को प्रातःकाल समाधी पूजन व भंडारे का आयोजन किया गया है जिसमें शेखावाटी अंचल के साथ साथ देश विदेश से महाराज के शिष्य शामील होंगे।