आज के जीवन मे योग आवश्यकता क्यों है, जानिए वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर डा. अभिषेक से

आज के जीवन मे योग आवश्यकता क्यों है, जानिए वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर डा. अभिषेक से

मानसिक तनाव से जर्जर होता आज का मनुष्य आंतरिक शक्ति कि तलाश में भटक रहा है, आज के मनुष्य को आंतरिक शांति के साथ प्रखर बुद्धि वाला व पुरुषार्थी बनाए ऐसे साधन कि आवश्यकता है। 
   भारत के महान ऋषि पतंजलि ने योगाभ्यास को आंतरिक शांति व स्वस्थ शरीर पाने का उत्तम मार्ग बताया है, इस को उन्होंने  योग दर्शन नाम दिया।  स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि यदि हम मानव जाति को बचाना है तो उपनिषद, वेदान्त, योगदर्शन व प्राचीन संस्कृति को पुनः अपनाना होगा, जिसमें योग अत्यंत महत्वपूर्ण है । 


तनाव से मुक्ति
तनाव अपनी आप मे एक बहुत बड़ी बीमारी है जो अनेक रोगों का मूल कारण है और आज के भौतिकवादी युग मे यह लगातार बढ़ रहा है, जिस कारण आज योग अत्यंत आवश्यक हो गया है यह एक प्रमाणिक तथ्य है कि योगमुद्रा,ध्यान,प्राणायाम ,आसन आदि से तनाव से मुक्ति मिलती हैं। योग न केवल हमारे शरीर को स्वस्थ करता है बल्कि आध्यात्मिक विकास भी करता है।


मन व भावनाओं पर योग
योग से निराश,चिंता,विरोधाभास जैसी नकारात्मक भावनाए दूर होती है व व्यक्ति रोगप्रतिरोधक शक्ति में वृद्धि होती है व व्यक्ति निरोगी व सुखी जीवन यापन करता है
योग एक सुखी,स्वस्थ्य जीवन जीने का ढंग है। इसका उद्देश्य केवल शरीर तक सीमित नही है।  महर्षि पतंजलि ने अष्टांग योग की विवेचना की। केवल आसन का अभ्यास करने से शरीर में स्थित टॉक्सिन्स बाहर आता है। शुरू में मासपेशियों ,हाथ- पैर में दर्द होगा । ज्वर(टेम्परेचर ) भी हो सकता है।
केवल आसन का अभ्यासी मानसिक रूप से भी अस्वस्थ्य हो सकता है। उसमे काम, क्रोध,अहंकार की मात्रा तेजी से बढ़ जाती है।
किन्तु सम्पूर्ण योग अर्थात अष्टांग योग अपनाने से व्यक्ति पूर्ण स्वास्थ्य प्राप्त करता है। एक स्वस्थ,सुखी जीवन यापन करता है।  
योगाभ्यास व्यक्ति को सरल,सहज बनाता है। दरअसल केवल आसन से मेरुदंड  और मेरुदंड के निचला भाग मूलाधार चक्र प्रभावित होता है।। इसलिए आसन के साथ प्राणायाम,षट्कर्म, की क्रिया जरूर करनी चाहिए। षट्कर्म से विकार शमन होगा, प्राणायाम, से मन की चंचलता दूर होंगी, ध्यान से प्रज्ञा विकसित होगी।

योग का होलिस्टक (यम नियम आसन प्राणायाम प्रत्याहार,धारणा ध्यान समाधि)एप्रोच है। साथ साथ षट्कर्म भी करतें रहे। 
षटकर्म योग में शरीर शुद्धि के 6क्रम है, जिन से संपूर्ण शरीर के टॉक्सिन बाहर निकल जाते हैं। 
इन उपरोक्त सब बातों पर ध्यान दे तो आज के समय यदि मनुष्य स्वस्थ व संतुलित जीवन जीना चाहे व जीवन का वास्तविक  आनंद लेना चाहे तो योग मनुष्य के लिये उतना ही आवश्यक है,  जितना जीवित रहने के लिये भोजन,अन्यथा पशु भी अपना जीवन यापन तो करता ही है मनुष्य जीवन जो प्राप्त हुआ है उस कि वास्तविकता बिना योग कल्पना भी नही कि जा सकती है। 
मनुष्य को अपने जीवन को स्वस्थ,संतुलित और  आनंद पूर्ण बनाने के लिये योग को जीवन मे अपनाना ही होगा। 

लेखक

डा. अभिषेक शर्मा 

योग प्राकृतिक चिकित्सक