प्रधानमंत्री स्‍वामित्‍व योजना' से ग्रामीणों को लाभ पहुंचाने की रेस में यह राज्य सबसे आगे

प्रधानमंत्री स्‍वामित्‍व योजना' से ग्रामीणों को लाभ पहुंचाने की रेस में यह राज्य सबसे आगे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिजिटल इंडिया का सपना देखा है। अपने इसी सपनों को साकार करने के लिए उन्होंने 'प्रधानमंत्री स्‍वामित्‍व योजना' लॉन्च की, जो धरातल पर ग्रामीणों को लाभ पहुंचाने की दृष्टि से लाई गई है। यह एक ऐसी ऑनलाइन योजना है, जो आगे चलकर देश की उन्नति में कारगर साबित होगी। सिर्फ इतना ही नहीं उनकी इस योजना के बलबूते डिजिटल इंडिया प्रोग्राम को भी आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। बताना चाहेंगे, इस कड़ी में तेजी से कार्य भी किया जा रहा है। 

अब भला कौन नहीं चाहेगा कि हर भारतवासी के हाथ में मोबाइल फोन हो और उसका जुड़ाव इंटरनेट के जरिए सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) और प्रधानमंत्री के साथ अपने हक में प्रदेश के मुख्यमंत्री से लेकर सभी प्रमुख लोगों के साथ सोशल मीडिया पर हो ? जी हां, यही सपना प्रधानमंत्री द्वारा शुरू की गई 'प्रधानमंत्री स्‍वामित्‍व योजना' इन दिनों पूरा करती हुई दिखाई दे रही है।  

दरअसल, जमीन के स्‍वामित्‍व को लेकर उन्होंने 24 अप्रैल 2020 को पंचायती राज दिवस के दिन ''प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना'' आरंभ की थी। आज इसमें जो सबसे बड़ा कार्य हो रहा है, वह है स्वामित्व योजना के अंतर्गत ग्रामीणों को अपनी सम्पत्ति पर अधिकार जमीन और मकान के कागजात का शासकीय दस्तावेज स्वामित्व कार्ड के रूप में दिया जाना। इस दस्तावेज के माध्यम से वे अपनी सम्पत्ति का क्रय-विक्रय कर रहे हैं और बैंकों से आसानी से ऋण प्राप्त कर अपने कार्य को सुगमता के साथ आगे बढ़ा रहे हैं। 

मध्य प्रदेश में हो रहा सबसे अच्‍छा कार्य 

इस योजना से प्रधानमंत्री मोदी ने अपेक्षा की थी कि देश के शामिल राज्‍य इसमें बेहतर कार्य करें और सुदूर ग्राम्य जीवन तक उनके लिए विभिन्न केंद्र व राज्‍य सरकारों द्वारा चलाई जा रही योजनाएं प्रमुखता से पहुंचाई जा सके। अब इसमें कहना होगा कि देश के अनेक राज्यों के बीच सबसे अच्‍छा काम योजना को लेकर मध्य प्रदेश में हो रहा है। 

राज्‍य में 1615 गांवों के अधिकार अभिलेख हुए पूर्ण 

प्रदेश में ग्रामीण आबादी का सर्वे कर ग्रामीणों को उनकी स्थिति का मालिकाना हक दिलाए जाने के लिए चलाई जा रही इस स्वामित्व योजना के अंतर्गत अधिकार अभिलेख तैयार करने में राज्‍य आज देश में प्रथम स्थान पर है। योजना में अभी तक प्रदेश के 1,615 गांवों के अधिकार अभिलेख पूर्ण किए जा चुके हैं, जिसमें कि मध्य प्रदेश के हरदा जिले में तो शत-प्रतिशत गांवों के अधिकार अभिलेख पूर्ण किए जा चुके हैं। इसी के साथ कुछ ही महीनों में यहां अधिकार अभिलेख पूर्ण ग्रामों का प्रतिशत 41 पर पहुंच गया है।

केंद्र ने कहा बेस्ट प्रैक्टिस के तहत अन्‍य राज्‍य भी करें मध्य प्रदेश का अनुसरण

इस पर खुशी जाहिर करते हुए मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बताते हैं कि योजना के अंतर्गत ड्रोन द्वारा ग्रामीण आबादी का सर्वेक्षण कर केवल उन सम्पत्ति धारकों के अधिकार अभिलेख तैयार किए जा रहे हैं, जो मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता (संशोधन ) के लागू होने की दिनांक 25 सितम्बर 2018 को उस आबादी भूमि का उपयोग कर रहे थे अथवा जिन्हें इस दिनांक के बाद आबादी भूमि भूखंड का आवंटन किया गया है।

उनका कहना है कि भारत सरकार द्वारा बेस्ट प्रैक्टिस के तहत अन्य राज्यों को भी मध्यप्रदेश की तर्ज पर स्वामित्व अभियान के क्रियान्वयन की प्रक्रिया अपनाने का आज सुझाव दिया गया है। यह हमारे लिए गौरव की बात है। मध्यप्रदेश की प्रक्रिया को समझने के लिए अन्य राज्य के अधिकारियों द्वारा मध्य प्रदेश का दौरा भी किया गया। वहीं वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भी उन्हें प्रशिक्षण भी अब तक दिया जा चुका है और आगे भी यह जारी रहेगा। वे कहते हैं कि मैंने योजना के अंतर्गत सर्वे कार्य शीघ्र पूर्ण कर ग्रामीण आबादी को अधिकार अभिलेख का वितरण प्रारंभ करने के निर्देश दिए हैं, जिस पर अभी काम हो रहा है।

ग्रामीणों को स्वामित्व कार्ड के रूप में दिया जा रहा अपनी सम्पत्ति पर अधिकार 

इसके साथ ही जब राजस्व मंत्री गोविंद सिंह राजपूत से इस संबंध में बातचीत की गई तो उन्होंने कहा है कि स्वामित्व योजना के अंतर्गत ग्रामीणों को अपनी संपत्ति पर अधिकार का शासकीय दस्तावेज स्वामित्व कार्ड के रूप में दिया जा रहा है। इस दस्तावेज के माध्यम से वे अपनी सम्पत्ति का क्रय-विक्रय कर सकेंगे तथा बैंकों से आसानी से ऋण प्राप्त कर सकेंगे। जमीन और मकान के कागजात प्रदान किए जा रहे हैं।

इस साल शामिल किए गए योजना मे देश के 16 राज्‍य 

उल्लेखनीय है कि इस योजना को पहले पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर देश के नौ राज्य जो कि हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, पंजाब, राजस्थान तथा आंध्र प्रदेश हैं में शुरू किया गया था। ''प्रधानमंत्री स्‍वामित्‍व योजना'' के अंतर्गत अब तक लगभग तीन लाख लोगों के प्रॉपर्टी कार्ड बांटे जा चुके हैं। इस योजना के माध्यम से गांव के 90 प्रतिशत से ज्यादा विवादों का निपटारा हो रहा है। इस साल इस योजना के अंतर्गत 16 राज्यों को शामिल किया गया है।

योजना का बजट है 913.43 करोड़ रुपए 

केंद्र सरकार ने इस वित्तीय वर्ष के लिए पंचायती राज मंत्रालय को 913.43 करोड़ रुपए का बजट दिया है । यह बजट पिछले वर्ष की तुलना में 32 प्रतिशत ज्यादा है। इस बजट में से 593 करोड रुपए राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान के लिए आवंटित किए गए हैं व योजना के लिए 200 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है। इस योजना का बजट पिछले वर्ष 79.65 करोड़ रुपए था। जो कि अब बढ़कर 200 करोड़ हो गया है। 

बनाई गई हैं इसके लिए 130 ड्रोन टीमें

इसके साथ ही विभिन्न राज्यों में करीब 130 ड्रोन टीम तैनात की गई हैं। यह ड्रोन टीम भारतीय सर्वेक्षण विभाग के द्वारा तैनात की गई हैं। इस योजना के अंतर्गत पीएम मोदी ने एक नए ई-ग्राम स्वराज पोर्टल की शुरुआत की है। इस पोर्टल पर ग्राम समाज से जुड़ी सभी समस्याओं की जानकारी दी गई है और इस पोर्टल के माध्यम से किसान अपनी भूमि की जानकारी ऑनलाइन देख सकते हैं। बताना होगा कि पंचायती राज मंत्रालय ने ई ग्राम स्वराज पोर्टल की शुरुआत की है। 

हो रहा गांधी के ग्राम स्‍वराज और दीनदयाल का एकात्म मानववाद का सपना साकार 

''प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना'' के द्वारा ग्रामीण युवा जो बेरोजगार हैं उन्हें आज बड़ी संख्‍या में ऋण मुहैया कराया जा रहा  है। इस योजना के शुरू होने से ग्राम पंचायतों में होने वाली धांधली जमीनों पर कब्जा और भूमाफिया के ऊपर लगाम लगना शुरू हो गई है। अब इन बदली हुई परिस्थितियों को देखते हुए कहना होगा कि आज हकीकत में महात्मा गांधी का ''ग्राम स्वराज'', विनोबा, नानाजी देशमुख के साथ दत्तोपंथ ठेंगड़ी और दीनदयाल उपाध्याय के अंतिम व्यक्ति को मुख्यधारा में लाने का ''एकात्म मानववाद'' का सपना साकार होता दिखाई दे रहा है।