पर्यावरण के अनुकूल होंगे अब राष्ट्रीय राजमार्ग, जानिए क्या है ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस वे

पर्यावरण के अनुकूल होंगे अब राष्ट्रीय राजमार्ग, जानिए क्या है ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस वे

सड़क न सिर्फ बुनियादी ढांचे का सबसे महत्वपूर्ण अंग है बल्कि ये देश के विकास की नब्ज भी है। सरकार पहले से ही लोगों की सहूलियत के लिए कई नए सड़के बना रही है लेकिन पिछले कुछ सालों से उनके आस पास वृक्षारोपण, उनके प्रत्यारोपण, सौंदर्यीकरण और रख-रखाव पर भी जोर दिया जा रहा है और इसीलिए केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा देशभर में ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस वे बनाये जा रहे हैं। हाल ही में केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने भारतमाला परियोजना के तहत बनाये जा रहे 5 ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस वे और 17 एक्सप्रेस कंट्रोल्ड ग्रीन्डफील्ड नेशनल हाईवे की समीक्षा की है। 8000 किलोमीटर लंबे इन 22 ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट्स पर अनुमानित 3.26 लाख करोड़ रुपये खर्च होंगे।

क्या है ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस वे

दरअसल, ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस वे वो एक्सप्रेसवे होते हैं जो हरे-भरे इलाकों से निकाले जाते हैं। इन्हें ‘ग्रीन कॉरिडोर’ भी कहा जाता है। इनको बनाने के पीछे के कारणों का जिक्र करते हुए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी कहते हैं कि इनके माध्यम से आबादी वाले इलाकों से बचने की कोशिश की गई है, इसके साथ जमीन सस्ते में मिल सके, साथ ही उन पिछड़े इलाकों के लोगों के लिए ऐसा एक्सप्रेसवे नए आर्थिक अवसर पैदा करेगा।

2018 में की गई ग्रीन कॉरिडोर की पहचान

जुलाई 2018 में केंद्र सरकार ने ऐसे 5 इंडस्ट्रियल कॉरिडोर की पहचान की, जिन्हें ग्रीन कॉरिडोर बनाया जा सकता है। इसके लिए ट्रैफिक मूवमेंट को स्टडी किया गया और साथ ही यह देखा गया कि इंडस्ट्रियल सेंटर में बनने वाले सामान को कंजम्पशन सेंटर और पोर्ट्स तक ले जाने की सुविधा बढ़ाई जा सके। यानि व्यापार करने में सहूलियत बढ़ाई जा सके।

वृक्षारोपण से होगा लोगों को फायदा

इसमें वृक्षारोपण को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। वृक्ष, वाहनों की संख्या में वृद्धि की वजह से हमेशा बढ़ने वाले ध्वनि प्रदूषण के प्रभाव को कम करते हैं और तटबंध ढलावों पर मिट्टी के कटाव को रोकते हैं, फलस्वरूप राजमार्गों का जीवन बढ़ जाता है। वृक्ष न केवल वाहनों की हेड लाइट की रोशनी को रोकते हैं बल्कि हवा और आने वाले विकिरण के प्रभाव को भी कम करते हैं। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी कहते हैं कि हमने कुल परियोजना लागत का 1 प्रतिशत वृक्षारोपण निधि के रूप में रखने का निर्णय लिया है जो भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के पास एक अलग खाते में रखा जाएगा।

साल 2025 तक पूरा होने की उम्मीद

इन 22 एक्सप्रेसवे को 2025 तक पूरा करने की बात कही गयी है। इनमें से तीन एक्सप्रेसवे/ ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे को पूरा करने की डेडलाइन साल 2022 रखी गयी है। इनमें दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे, ट्रांस-राजस्थान, यानी राजस्थान के अंदर, ट्रांस-हरियाणा, यानी हरियाणा के अंदर सबसे पहले काम होगा।

ग्रीन हाईवे पॉलिसी

सितंबर 2015 में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने ‘हरित राजमार्ग नीति’ यानि ग्रीन हाईवे पॉलिसी की घोषणा की थी और इसी का अनुसरण करते हुए नेशनल ग्रीन हाइवेज मिशन की शुरुआत हुई। इस परियोजना का उद्देश्य चयनित राज्यों में सुरक्षित और हरित राष्ट्रीय राजमार्ग गलियारों का विस्तार करना है। इसका उद्देश्य निर्बाध कनेक्टिविटी प्रदान करना और लॉजिस्टिक्स खर्चे को कम करना है।

पर्यावरण के अनुकूल होंगे राष्ट्रीय राजमार्ग

भारत में लगभग 40 प्रतिशत सड़क यातायात राष्ट्रीय राजमार्गों के माध्यम से होता है। हालांकि इन राजमार्गों के कई हिस्से ऐसे हैं जिनकी क्षमता अपर्याप्त तथा जल निकासी से संबंधित संरचनाएं कमजोर हैं। इसके अलावा इन हिस्सों में कई ब्लैक स्पॉट भी मौजूद हैं। इन्हीं समस्याओं से निपटारे के लिए और सड़क और राजमार्गों को पर्यावरण के अनुकूल बनाने के लिए वर्षा जल संचयन और ग्राउंड वॉटर रिचार्ज सिस्टम को सुनिश्चित करने की दिशा में भी कदम उठाए गए हैं, साथ ही, सभी टोल बूथों के लिए सौर ऊर्जा का उपयोग अनिवार्य किया गया है।

मंत्रालय द्वारा सड़क एवं पुल निर्माण कार्य करने के लिए कोलतार में 10 प्रतिशत प्लास्टिक या रबर को शामिल करने का भी निर्णय लिया गया है, जो पर्यावरण के दृष्टिकोण काफी महत्वपूर्ण है। मंत्रालय के अनुसार, सड़क निर्माण कार्य में कॉयर और जूट कारपेट का उपयोग करने की भी योजना बनायी जा रही है।