राष्ट्रीय बांस मिशन: ‘ग्रीन गोल्ड’ की खेती पर सरकार दे रही है 50 फीसदी सब्सिडी

राष्ट्रीय बांस मिशन: ‘ग्रीन गोल्ड’ की खेती पर सरकार दे रही है 50 फीसदी सब्सिडी

कई वर्षों से बांस देश के ग्रमीण क्षेत्र की जीवन रेखा रहा है। इसे ग्रीन गोल्ड या हरा सोना भी कहा जाता है। समय और प्रौद्योगिकियों के विकास के साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था में 'ग्रीन गोल्ड' का उपयोग व्यापक रूप से बदल गया है - चाहे किसान के लिए हो या उद्योग के लिए। कुछ समय पहले, भारतीय वन अधिनियम 1972 का वर्ष 2017 में संशोधन किया गया और पेड़ों की परिभाषा से बांस को हटा दिया गया। इससे किसानों को बांस और बांस आधारित प्रोडक्टस की सुगम आवाजाही में मदद मिली।

राष्ट्रीय बांस मिशन की शुरुआत

2018-19 में पुनर्गठित राष्ट्रीय बांस मिशन (NBM) की शुरुआत हुई। इस मिशन के तहत बांस क्षेत्र के किसानों को उद्योग से जोड़ने से लेकर गुणवत्ता रोपण, वृक्षारोपण, संग्रह की व्यवस्था, एकत्रीकरण, प्रसंस्करण, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम, कौशल विकास और क्लस्टर अप्रोच मोड में ब्रांड निर्माण की पहल भी शामिल है। राष्ट्रीय बांस मिशन के अनुसार, बांस की 136 प्रजातियां हैं और सबकी अपनी विशेषताएं हैं, जैसे किसी से फर्नीचर आदि बनता है तो किसी का उपयोग भवन निर्माण में होता है। खेती की अगर बात करें तो एक बांस का पेड़ 30-40 वर्षों तक बांस देता है। 

भारत में बांस उद्योग 30 हजार करोड़ रुपये होने की उम्मीद: नितिन गडकरी

केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के अनुसार, पिछले तीन साल में व्यावसायिक रूप से बांस 15,000 हेक्टेयर क्षेत्र में लगाया गया है। किसानों को गुणवत्तापूर्ण पौधारोपण सामग्रियों की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए, मिशन के अंतर्गत 329 नर्सरियों की स्थापना की गई। इस मिशन के तहत 79 बाजार बनाए गए हैं। इसके साथ सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने भी हाल ही में बांस को कोयला के विकल्प के रूप में देखने की बात कही है। उन्होंने उम्मीद जताई है कि सभी हितधारकों के एकीकृत प्रयासों से भारत में बांस उद्योग 25-30 हजार करोड़ रुपये का हो जाएगा।

बांस की खेती के लिए केन्द्र सरकार द्वारा मिलने वाली सहायता

1. बांस की खेती के लिए सरकार की ओर से सरकारी नर्सरी से फ्री में पौधा उपलब्ध कराया जाएगा।

2. तीन साल में औसतन 240 रुपए प्रति प्लांट की लागत आएगी। इसमें से 120 रुपए प्रति प्लांट सरकार की ओर से दिए जाएंगे।

3. मिशन के अंतर्गत, उत्तरी-पूर्वी राज्यों को छोड़कर अन्य क्षेत्रों में इसकी खेती के लिए 50 फीसदी सरकार और 50 फीसदी किसान लगाएगा। 50 फीसदी सरकारी शेयर में 60 फीसदी केंद्र और 40 फीसदी राज्य की हिस्सेदारी होगी। वहीं उत्तरी-पूर्वी राज्यों में 60 फीसदी सरकार और 40 फीसदी किसान लगाएगा। 60 फीसदी सरकारी पैसे में 90 फीसदी केंद्र और 10 फीसदी राज्य सरकार का शेयर होगा।

4. मिशन के अंतर्गत हर राज्य में मिशन डायरेक्टर बनाए गए हैं और हर जिले में नोडल अधिकारी तैनात हुए हैं। इनका काम किसानों को योजना की पूरी जानकारी देना है। 

राष्ट्रीय बांस मिशन के तहत कैसे करें रजिस्टर?

1. रजिस्ट्रेशन के लिए बांस मिशन की आधिकारिक वेबसाइट https://nbm.nic.in/ पर जाना होगा।

2. वेबसाइट पर जाने के बाद ‘फार्मर रजिस्ट्रेशन’ पर क्लिक करके अपनी सभी जानकारी भरनी होगी।

3. रजिस्ट्रेशन फॉर्म में अपने राज्य, जिला और तहसील का चयन करने के बाद अपने गांव का चयन करना होगा। इसके बाद फाइनेंशियल ईयर की जानकारी दर्ज करके किसान का नाम और अन्य जानकारी भरनी होंगी।

4. सभी जानकारी भरने के बाद फॉर्म सबमिट कर दें।