जानिए क्या है पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल सर्टिफिकेट और कब से होगा यह अनिवार्य

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने देश भर में सभी वाहनों के लिए पीयूसी सर्टिफिकेट यानि प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र बनाने और पीयूसी डेटाबेस को राष्ट्रीय रजिस्टर से जोड़ने की अधिसूचना जारी की है। इस नियम के बाद देशभर में एक समान प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र की शुरुआत होने जा रही है। इसके साथ देशभर में रिजेक्शन स्लिप का प्रावधान पहली बार किया जा रहा है। अगर किसी के वाहन का प्रदूषण स्तर तय मानकों से ज्यादा है तो वाहन के मालिक को रिजेक्शन स्लिप दी जाएगी। इस स्लिप को वाहन मालिक को गाड़ी की सर्विसिंग के वक्त सर्विस सेंटर में दिखाना होगा। वहीं अगर प्रदूषण मापने वाली मशीन खराब है तो वाहन मालिक किसी अन्य केंद्र में जा सकते हैं।
MoRT&H has issued a notification for a common format of the PUC (Pollution Under Control) Certificate to be issued across the country, under Central Motor Vehicle Rules 1989.
— MORTHINDIA (@MORTHIndia) June 17, 2021
This IT-enabled move would help in better control over polluting vehicles. pic.twitter.com/58xfZ6EebU
कौन-सी जानकारी होंगी इस नए पीयूसी में
सड़क मंत्रालय की ओर से जारी इस अधिसूचना में कहा गया है कि केंद्रीय मोटर वाहन नियम 1989 में बदलाव के बाद, एक क्यूआर कोड आपके पीयूसी फॉर्म पर प्रिंट होगा जिसमें वाहन मालिक का नाम, मोबाइल नंबर, पता, इंजन नंबर और चेसिस नंबर होगा। बता दें, वाहन के मालिक का मोबाइल नंबर पहले अनिवार्य नहीं था, लेकिन इसबार मालिक का मोबाइल नंबर अनिवार्य कर दिया गया है, जिस पर वेरिफिकेशन और शुल्क के लिए एक एसएमएस अलर्ट भेजा जाएगा। चिंता न करें इससे आपकी किसी भी पर्सनल इन्फॉर्मेशन को शेयर नहीं किया जायेगा। आपसे जुडी सभी अहम जानकारी की गोपनीयता बनाई रखी जाएगी। किसी कोड की तरह ही इसमें भी अंतिम के चार अंक ही दिखाई देंगे, बाकी नंबर नहीं दिखेंगे।
वाहन मालिक पर कब लग सकती है पेनल्टी
अगर प्रवर्तन अधिकारी के पास यह मानने का कारण है कि आपका मोटर वाहन उत्सर्जन मानकों के जो प्रावधान हैं उनका अनुपालन नहीं कर रहा है, तो वह लिखित रूप में या इलेक्ट्रॉनिक मोड के जरिए ड्राइवर या वाहन के प्रभारी को उस वाहन को पीयूसी टेस्ट स्टेशनों पर जाकर टेस्ट करवाने के लिए कह सकता है। अगर कोई भी वाहन का चालक इसका पालन करने में विफल रहता है, तो पंजीकरण प्राधिकारी, लिखित रूप में दर्ज किए जाने वाले कारणों के लिए, उस वाहन के रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट और किसी भी परमिट को तब तक निलंबित कर सकता है, जब तक कि एक वाहन को पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल सर्टिफिकेट नहीं मिल जाता।
वाहन उत्सर्जन मानक क्या है?
भारत में गाड़ियों के फ्यूल से निकलने वाले पॉल्यूशन को कंट्रोल करने के लिए मापदंड सेट किए गए हैं, जिन्हें उत्सर्जन मानक या एमिशन नॉर्म्स कहा जाता है। इन नॉर्म्स का सभी ऑटोमोबाइल कंपनियों को पालन करना होता है ताकि एयर पॉल्यूशन को कंट्रोल किया जा सके। बता दें, गाड़ियों का प्रोडक्शन करते समय, इंजन में एक इंटरनल इक्युपमेंट का इस्तेमाल किया जाता है, ताकि पॉल्यूशन कम से कम हो। भारत सरकार के पर्यावरण और वन मंत्रालय के अंतर्गत केंद्रीय पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की ओर से एमिशन नॉर्म्स की जांच और तय समय-सीमा के अंदर इसे पूरी तरह से लागू करने का काम किया जाता है। भारत स्टेज एमिशन नॉर्म्स में टू-व्हीलर से लेकर हेवी कमर्शियल व्हीकल शामिल हैं।
बढ़ाई गई वाहन डॉक्यूमेंट की वैधता
इसके साथ सरकार ने ड्राइविंग लाइसेंस, आरसी और परमिट जैसे सभी मोटर वाहन से संबंधित डाक्यूमेंट्स की वैधता 30 सितंबर 2021 तक बढ़ा दी है। इसमें उन सभी डॉक्यूमेंट को शामिल किया गया है जिनकी वैधता 1 फरवरी 2020 को समाप्त हो गई या अब 30 सितंबर को समाप्त होने वाली है। मंत्रालय द्वारा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया गया है कि वह जल्द से जल्द इस एडवाइजरी को लागू करें। जिससे महामारी के वक्त में काम कर रहे ट्रांसपोर्टरों, विभिन्न संगठन और जनता को किसी भी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े। दरअसल, इससे पहले 30 मार्च, 9 जून, 24 अगस्त 27 दिसंबर 2020 और फिर 26 मार्च 2021 को मोटर वाहन अधिनियम 1988 और सेंट्रल मोटर से संबंधित डॉक्टूमेंट की वैधता के संबंध में एडवाइजरी जारी की गई थी। अब इस वैधता को बढ़ा दिया गया है।