मैं हमेशा ये मानती रही हूं कि ख़ुशी को दुनिया के साथ बांटना चाहिए, जबकि दुख को सदैव अकेले सहना चाहिए: लता मंगेशकर

मैं हमेशा ये मानती रही हूं कि ख़ुशी को दुनिया के साथ बांटना चाहिए, जबकि दुख को सदैव अकेले सहना चाहिए: लता मंगेशकर

मुंबई।

स्वर कोकिला के नाम से मशहूर जानी-मानी गायिका लता मंगेशकर का निधन हो गया है. उन्हें इसी साल जनवरी महीने की शुरुआत में कोविड संक्रमित होने के बाद मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती किया गया था. स्थिति में सुधार नहीं होने के बाद वह हफ़्तों से आईसीयू में थीं जहाँ रविवार सुबह 8 बजकर 12 मिनट पर 92 साल की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली. मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल के डॉक्टर प्रतीत समदानी ने लता मंगेशकर के निधन की सूचना देते हुए बताया आज सुबह 8:12 मिनट पर लता दीदी(लता मंगेशकर) का निधन हो गया है. उनके शरीर के कई अंग खराब हो गए थे. उनका इलाज काफी दिनों से अस्पताल में चल रहा था. इससे पहले सरकार की ओर से केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने उनके निधन की पुष्टि करते हुए ट्वीट कर लिखा, ''देश की शान और संगीत जगत की शिरमोर (सिरमौर) स्वर कोकिला भारत रत्न लता मंगेशकर जी का निधन बहुत ही दुखद है. पुण्यात्मा को मेरी भावभीनी श्रद्धांजलि. उनका जाना देश के लिए अपूरणीय क्षति है. वे सभी संगीत साधकों के लिए सदैव प्रेरणा थीं.

इंदौर में हुआ जन्म
लता मंगेशकर का जन्म 28 सितंबर 1929 को मध्य भारत के शहर इंदौर में हुआ था. उनके पिता पंडित दीनानाथ मंगेशकर भी एक गायक थे. दीनानाथ मंगेशकर थिएटर कलाकार भी थे जिन्होंने मराठी भाषा में कई संगीतमय नाटकों का निर्माण किया. लता मंगेशकर, अपने पिता की पांच संतानों में सबसे बड़ी थीं. बाद में लता के छोटे-भाई बहनों ने भी उनका अनुसरण करते हुए संगीत की दुनिया में क़दम रखा और आगे चल कर भारत के मशहूर गायक बने.

मुश्किलों भरा वक़्त
लता मंगेशकर ने बीबीसी को एक इंटरव्यू में अपने बचपन को याद करते हुए बताया था कि उनका परिवार शास्त्रीय संगीत से गहराई से जुड़ा हुआ था. उनके घर में फ़िल्मी संगीत को पसंद नहीं किया जाता था.
लता मंगेशकर को कभी भी औपचारिक शिक्षा-दीक्षा नहीं मिली. एक नौकरानी ने लता को मराठी अक्षरों का बोध कराया. वहीं, एक स्थानीय पुरोहित ने उन्हें संस्कृत की शिक्षा दी. घर आने वाले रिश्तेदारों और अध्यापकों ने उन्हें दूसरे विषयों को पढ़ाया था.
लता मंगेशकर के परिवार का उस समय बहुत बुरा वक़्त आया, जब उनके पिता के काफ़ी पैसे डूब गए और उन्हें अपनी फ़िल्म और थिएटर कंपनी को बंद करना पड़ा.
इसके बाद उनका परिवार इंदौर से पूना (अब पुणे) आ गया. क्योंकि, महाराष्ट्र के सांगली में स्थित उनके पुश्तैनी घर को क़र्ज़ वसूली के लिए नीलाम कर दिया गया था. अपने पिता की मौत के बाद लता मंगेशकर अपने परिवार के साथ बम्बई (अब मुंबई) आ गईं.

जब लता ने की एक्टिंग
लता मंगेशकर ने आठ मराठी और हिंदी फ़िल्मों में अभिन भी किया. 1943 में आई मराठी फ़िल्म गजभाऊ में उन्होंने कुछ लाइनें और कुछ शब्द गाए भी थे. ये फ़िल्मों में उनका पहला गीत था. 1947 के आते-आते लता मंगेशकर एक्टिंग कर के हर महीने क़रीब 200 रुपए कमाने लगी थीं. उन्होंने नसरीन मुन्नी कबीर को एक इंटरव्यू में अपने फ़िल्मी अभिनय के दौर के बारे में कुछ इस तरह बताया था, ''मुझे अभिनय करना कभी पसंद नहीं आया. वो मेक-अप करना, लाइटें, लोगों का आप को निर्देश देना कि ये डायलॉग बोलो और वो बात कहो. इन सब से मैं बहुत असहज महसूस करती थी.''
जब एक बार एक फ़िल्म निर्देशक ने उन्हें अपनी भौंहे कटवाने को कहा, तो लता मंगेशकर को ज़बरदस्त सदमा लगा. निर्देशक ने कहा था कि उनकी भौंहें बहुत मोटी हैं. लेकिन, लता को निर्देशक की बात माननी पड़ी थी.

पहला गाना
लता मंगेशकर ने अपना पहला हिंदी फ़िल्मी गाना 1949 में आई फ़िल्म 'महल' के लिए गाया था. इस फ़िल्म में उनकी गायकी की काफ़ी तारीफ़ हुई थी.
फ़िल्म महल में उनके गाने को मशहूर संगीतकारों ने नोटिस किया और उन्हें मौक़े मिलने लगे. इसके बाद अगले चार दशकों तक लता मंगेशकर ने हिंदी फ़िल्मों में हज़ारों गाने गाए.
पाकीज़ा, मजबूर, आवारा, मुग़ल-ए-आज़म, श्री 420, अराधना और दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे जैसी रोमैंटिक फ़िल्म में भी उन्होंने गाने गाए.
जब लता मंगेशकर ने 1962 में चीन के साथ हुए युद्ध में शहीद हुए भारतीय सैनिकों के सम्मान में ऐ मेरे वतन के लोगों नाम का गीत गाया था, तो भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की आँखें भी भर आई थीं.

कारों, कुत्तों और क्रिकेट का शौक
लता मंगेशकर दुनिया के मशहूर संगीतकारों, मोज़ार्ट, बिथोवन, शोपिन, नैट किंग कोल, बीटल्स, बारबरा स्ट्रीसैंड और हैरी बेलाफोंट के बनाए संगीत को सुनना पसंद करती थीं. एक बार वो जर्मन मूल की अमरीकी अभिनेत्री मार्लिन डीट्रिख़ को स्टेज पर अभिनय करते हुए देखने के लिए विदेश तक गई थीं. उन्हें, स्वीडन की अभिनेत्री इनग्रिड बर्गमैन के नाटक देखना भी बहुत पसंद था.
लता मंगेशकर को फ़िल्में देखना भी अच्छा लगता था. उनकी सबसे पसंदीदा हॉलीवुड फ़िल्म थी-द किंग ऐंड आई. लता ने एक बार बताया था कि उन्होंने ये फ़िल्म कम से कम 15 बार देखी थी. उनकी दूसरी पसंदीदा हॉलीवुड फ़िल्म थी सिंगिंग इन द रेन.
लता को कारों का भी बहुत शौक़ था. ज़िंदगी में अलग-अलग मौक़ों पर उन्होंने भूरे रंग की हिलमैन और नीले रंग की शेवर्ले कार अपने पास रखी थी.
इसके अलावा उनके पास क्राइसलर और मर्सिडीज़ कारें भी हुआ करती थीं. घर में लता मंगेशकर ने नौ कुत्ते पाले हुए थे. वो क्रिकेट की भी बहुत बड़ी शौक़ीन थीं.
अक्सर वो रिकॉर्डिंग से ब्रेक लेकर टेस्ट मैच देखा करती थीं. लता बड़े शान से बताया करती थीं कि उनके पास सर डॉन ब्रैडमैन का ऑटोग्राफ़ है. खाना पकाना और फोटोग्राफ़ी करना उनकी हॉबी थी. शुरू में उनके पास रॉलिफ्लेक्स कैमरा था. छुट्टियों में वो जब अमरीका जाती थीं, तो वो रात-रात भर स्लॉट मशीन में खेला करती थीं

अल्बर्ट हॉल में रेन ऑर्केस्ट्रा के साथ गाना
लता मंगेशकर को ख़ाली वक़्त में शास्त्रीय संगीतकार पंडित रविशंकर के स्टूडियो में चहलक़दमी करते हुए भी पा सकते थे. एक बार वहां उनकी मुलाक़ात, पंडित रविशंकर के दोस्त जॉर्ज हैरिसन से भी हुई थी, जो इंग्लैंड के मशहूर पॉप ग्रुप बीटल्स के मशहूर गिटार वादक थे.
1979 में लता मंगेशकर को ब्रिटेन के विश्व प्रसिद्ध रॉयल अल्बर्ट हॉल में रेन ऑर्केस्ट्रा के साथ गाने का भी मौक़ा मिला था. ऐसा अवसर पाने वाली वो पहली भारतीय थीं.

लता मंगेशकर ने एक बार कहा था, 'मैं हमेशा ये मानती रही हूं कि ख़ुशी को दुनिया के साथ बांटना चाहिए, जबकि दुख को सदैव अकेले सहना चाहिए.'लता मंगेशकर के गाए सदाबहार गानों से करोड़ों भारतीयों की ज़िंदगी में ख़ुशियां भरीं और जैसा कि नसरीन मुन्नी कबीर कहती हैं, ''लता के गाए गाने, करोड़ों भारतीयों की ज़िंदगी का संगीत बन गए.''